टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम
–मन्जित राई (मानव)
त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम
रु–पुकुम, को–पुकुम
र्वाम पुकुम, सेइ पुकुम
त्वामन्वाम योर सुकुम
त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम ।
सालाङ पुकुम, सिलि पुकुम
चिचिर तुकुम, चिचिर जुकुम
त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम
ग्यार्कुम फुर्कुम, पुर्खा ब्अिम्कुम
त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम ।
ढोल मानिमोखो टुंडिखेल लुगुम लुगुम थुर्कुम
निख्वा ग्यार्कुम निख्वा फुर्कुम
त्यास टुंडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम ।
आम देसआङ ड्अ्वाबुन साकुम
रोम्मे तिम आरोम्या ति
पुर्खा तिच्चोखो ड्अिकुम पाम्मेतिम आपामिइ ति
ज्वाकसाक आज्वाक्साक, चिकसाक आचिक्साक
त्यास टुंडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम
रवाम पुकुम, सेइ पुकुम, त्वामनोम योर सुकुम
रा–पुकुम राम–आपुकु, दा–पुकुम ले–आपुकु
रु–पुकुम, को–पुकुम
त्यास टुंडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम ।
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सालाङ पुकुम, सिलि पुकुम,
चिचिर तुकुम, चिचिर जुकुम
त्यास, टुंडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम,
ग्यार्कुम फुर्कुम, पुर्खा ब्अिम्कुम
त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम ।
त्यास उन तिच्चो चै आमाम पुनिइ ति ? ….?…..?
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२०८० पुस २१ गते टुँडिखेल, काठमाडौं ।
(‘इक लिब्जु–भुम्जु’ त्रैमासिक वर्ष १० अंक ३, पूर्णाङ्क २२, (लिब्जुभुम्जुको ९५औं शृंखला), २०८० कात्तिक–पुस (किरात येले संवत् ३८०२÷सन् २०२३–२४ मा प्रकाशित यो कविताको पूर्णअंश यसमा प्रस्तुत गरिएको छ । सम्पादक)