वाम्बुले कवि मन्जित राई (मानव)को मातृभाषाको कविताः ‘टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम’
टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम –मन्जित राई (मानव) त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम रु–पुकुम, को–पुकुम र्वाम पुकुम, सेइ पुकुम त्वामन्वाम योर सुकुम त्यास, टुँडिखेल भ्लुकुम भ्लुकुम पुकुम । सालाङ पुकुम, सिलि …
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